مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
فَوَرَدْنَ والعَيُّوقُ |
يَتَتَلَّعُ |
٧٧٠ |
قل للخليل |
المخلعِ |
١٩٠٥ |
سباقُ عاديةٍ |
مِسْلع |
٣١٥٩ |
ترى برجليه |
مُنسلعْ |
٣١٨٥ |
وكلاهُما في |
أَصلعُ |
٦٧٩٥ |
كيف يرجون |
وصَلَع |
٣١٢١ |
كتب الرحمنُ |
والضَّلعْ |
٣٩٨٤ |
كأن المحالَ |
تطلّعُ |
٤١٧٩ |
أوذي خليل |
المضطلع |
١٦٧٨ |
يَعدو به نَهْدُ |
لا يَظْلَعُ |
٢٤٣٤ |
تَشُقَّ الوهادَ |
المُفَلَّعُ |
٥٢٥٦ |
أودى بنيَّ |
تقلع |
٤٦٧٧ |
مثلي لا يحسن |
الهَمَلَّع |
٥٠٦٦ |
لا يعجبنك أن |
الخُوْلَع |
١٨٩٤ |
في ألف |
الصَّوْلعُ |
٣٨٠٤ |
عشية مالي |
مولَعُ |
٦٠٩٤ |
أتاني أبيت |
المسامع |
٢٩٣١ |
طمعتُ بليلى |
المطامعُ |
٢٧٠٩ |
وذلك أمر |
الجوامعُ |
١١٦٤ |
يا رُبَّ أَبَّازٍ ... |
واجْتَمعْ |
١٥٨ |
ساجد المنخر |
المستمع |
٢٩٨١ |
حَلَفْتُ لها |
جمْعِ |
١١٥٥ |
ودَبَّلتُ أمثالَ |
تجمع |
٢٠٢٦ |
وما كان |
مجمع |
٤٣٢٦ |
يا لَهْفَ من |
تخمع |
٥٠٦٥ |
فالعينُ بعدهُم |
تدمعُ |
٣٢٠٨ |
خنخن لي |
أسمع |
١٦٩١ |
بأكلبها سلمتُها |
وتسمعِ |
٢٧١٨ |