يا أُمّ البنين
ودّعته |
|
ودّعته |
ويّه الظعن دلّالي |
|
او ودعت كل آمالي |
وظلّيت اعد الجيته |
|
وغصبن علي ودعته |
* * *
يا دهر يالمنّك سبب آلامي
انت الذي صوّبت گلبي الدامي
شبّيت راسي وبدّدت احلامي
بالحزن والدمعه گضيت ايّامي
ما شفته |
|
ما شفته |
ويّايه انصف دهري |
|
شفت العذاب ابعمري |
وغير القهر ما شفته |
|
وغصبن علي ودعته |
* * *
صبّت عَلَيّ همها وحزنها الاقدار
اوّل سهم ما شفت مثله او لا صار