ولا آخذ الموْلى |
غمر |
١٦٠١ |
يكفيه فلذةُ |
الغُمُر |
٥٠٠٣ |
عفا من آل |
فالغمر |
٣٢٣٧ |
عبق العنبر |
القمر |
٤٣٤٦ |
في ليلةٍ |
ولا قمرُ |
٦٢٧٧ |
راح تمرِّيه |
منهمر |
٦٩٨٧ |
وقد كان ذو |
لا يؤمر |
٧٣٨٥ |
وكنْتَ إذا |
صاهرُ |
٣٨٤٦ |
وكنت كذات |
طاهر |
٤٤١١ |
أعيرتنا ألبانها |
ظاهرُ |
٤٢٥٧ |
أولئك قومي |
المظاهر |
٣٤٧٣ |
فشُلَّت يميني |
المظاهرُ |
٣٢٢٤ |
الواهبُ المئة |
مظاهرْ |
٣٧٦٩ ، ٧٠٨٤ |
لا تُفْشِيَنْ |
عاهر |
٤٨١٠ |
مثل الفراتي إذا |
الماهر |
٦٥٨ |
كيف اهتدت |
تياهر |
٤٦٤٩ |
تدسُّ إلى |
الدهر |
٤٣٨٨ |
تبابعةٌ سبعون |
أزهر |
٧١٥ ، ٣٠١٠ |
وإذا أردت |
الأزهر |
٣٠٨٢ |
وردتُ وأرادفُ |
تُزهرُ |
٣٠٢٩ |
وردْتُ وأردافُ |
تَزْهرُ |
٢٤٦٧ |
هو ابن منضَّجات |
شهرِ |
٦٦٣٨ |
وأبيض كالغدير |
شهر |
٢١٩١ |
يا أيها السائل |
أشهرُ |
٢٧٠١ |
تَرْوي لقىً |
ينصهرْ |
٣٨٤٧ |
أبونا نبيُّ |
المطهَّر |
٤٣٣٢ |
أبونا نبي الله |
المطهر |
٦٩٩٨ |
ألم تر أن |
ظهر |
٤٣٨٨ ، ٤٧٠٨ |
عجوز تمنى |
الظهر |
٤٣٨٨ ، ٦٠٢٠ |