مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
إذا ما رآنا |
قدوعُ |
٥٤٠٠ |
يسدُّ به نوائب |
الشروع |
٣٤٣٩ |
وقرطوا الخيلَ |
ومصروع |
٥٤٦٤ |
والدهر لا يبقى |
مروّع |
٣٣٢٢ |
فظلت ولي |
جزوع |
٣٤٣٠ |
لعمري لئن |
لجزوع |
٤٥٦٠ |
لم يضرني |
الضُّوع |
٤٠١٤ |
زخاري النبات |
والقطوعِ |
٢٧٧٣ |
ومستأنسٍ بالقفر |
سَفوعُ |
٤٠٦٠ |
قد يبلغ الشرفَ |
مرقوعُ |
٢٥٩٨ |
ألا سبيل إلى |
ديقوعُ |
٢١٢٦ |
فما ينفكُّ |
زَمُوعِ |
٢٨٣٨ |
ولو أني أشاء |
شموع |
٣٥٤٠ |
لَمَالُ المرءِ |
القنوع |
٥٦٤٩ |
وفي منكبي |
بائع |
١٢٦٣ |
ونُقفي وليدّ |
بجائع |
١٤٤٧ |
إذا أنت |
الودائع |
٥١٦٦ |
وإن حمىً لم |
ضائع |
١٧٨٦ |
حلفتُ ، فلمْ ... |
طائعُ |
١٢٢ ، ٣٣٦٧ ، ٦٧٨٩ |
ونحن المدركون |
التَّبيعِ |
٧١٩ |
أيا حَرَجات |
ربيعُ |
١٣٩١ |
بها السِّرحان |
الصَّدِيعُ |
٣٦٩٨ |
ترى قطعاً |
النزيع |
١٨٠٣ |
هم طحنوا |
القصيع |
٥٥١٣ |
من كل عجزاء |
تضيِّع |
٤٣٩٧ |
أَقُولُ لِصَاحبِي ... |
لا يَضيِعُ |
١٥٤ |
إذا لم |
تستطيع |
٤٥٧٨ |
ترى ودَكَ السَّديفِ |
الصَّقيعُ |
٢٦٧١ ، ٣٠٣٢ |