مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
وكيف يضيع |
الصقيعِ |
٢١١٤ |
آخر منهم |
وَقِيعُ |
٩٦٣ |
يبادرن العضاهَ |
الوقيعِ |
٣٥٩ ، ٥٦٥١ ، ٦٤٩٥ |
وأنت الفتى |
لكيع |
٦١٠٤ |
حرف الغين
تَزَجَّ من دنياك |
بالدباغ |
٢٧٦٦ |
بِكسْرةٍ لينة |
صباغ |
٢٧٦٦ |
وكلّ أناسٍ |
الصِّبغ |
٣٦٥٢ |
والمِلْغ يُلغى |
لم يبدَغ |
٦٣٦٥ |
لو كنت أسطيعك |
الأفرغ |
٣٣٥٥ |
والملْغُ يلكى |
يَبْطَغِ |
٢٠٢٢ |
حرف الفاء
المُطْعمون الشَّحمَ |
الرَّجافِ |
٢٤٢٥ |
عمرو الذي |
عجافِ |
٦٩٣٧ |
عمرو العُلى |
عجافُ |
٣٢٣٢ |
وأن يَعْرَيْنَ |
عجافِ |
٥٧٩٩ |
قد عَلِمَتْ |
الجِحافِ |
٩٩٧ |
قد يكسب |
اصطراف |
٣٧٣٤ |
وكنَّ كبازٍ |
الأعراف |
٤٤٦٣ |
لَرحتُ أغذو |
ولا سنافٍ |
٣٢٢٥ |
وقاتلَ كلبُ |
مُتكتِّف |
٣٧٩٤ |
لَعَرضُ من الأعراضِ |
تهتفُ |
٤٩٨٥ |
شريجان من |
ترجف |
٣٤٢٩ |
إذا اغبَّر |
حَرْجَفٌ |
١٤٠٤ |
فما برحوا |
المصاحف |
٣٣٤٦ |
بِغلْباءَ من رَوْقي |
تَزْحفُ |
٢٦٦٦ ، ٣٦٧٦ |