مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
عسجن بأعناق |
الروادف |
٤٥٣٨ |
تُناقِضُ بالأشعار |
تَجْدِفُ |
١٠١٩ |
لمن الضمعائن |
يَجْدِفُ |
١٠١٩ |
بشهباء يزجيها |
مُرْدَفُ |
٣٥٧٠ ، ٥٥٠٨ |
يا من أحسَّ |
الصَّدَفُ |
٣٤٧١ |
حميرٌ قومي |
والصَّدَفْ |
٣٦٩٠ |
وشمطاء من رهط |
يصدف |
٣٥٤٦ |
فحطنا له أكناف |
خِنْدفُ |
١٩٣٤ |
فحطنا لهم |
خَنْدِف |
٥٥٠٨ |
وما ذكرت أيامَ |
ولا المتخندفُ |
١٩٤٢ |
يعطي النجائب |
تَودَّفُ |
٧١٢١ |
تَبَيَّنْ خليلي |
المخارِفِ |
٤٢٣٣ |
وأن ليس |
وخارفُ |
١٧٥٩ |
يقلِّب سهماً |
شارف |
٣٤٢٦ |
ولو أنّ |
المطارف |
٤٠٨٧ |
شَهِدتُ عَليكم |
عَارِفُ |
١٧٥٨ ، ٣٤١٤ |
ويوْمَ أُضَاعَى |
ما يُجَرِّفُ |
٢٩١ |
ومنا ببُطنانين |
تَحَرَّفُ |
٧٧٦ ، ٤٧٥٠ |
أعطوا هنيدة |
سَرَفُ |
٦٩٩٠ |
وخشناء من |
تَشَرَّف |
١٨١٣ ، ٣٤٥١ |
فتباً لدينا |
وتَصرَّفُ |
١٣٩٣ |
إذا مرضت |
يتصرف |
٤٧٨٣ |
وكنت إذا |
مصرف |
١٨٨٤ |
أحبُّ إلى قلبي |
يَصرِفُ |
٤٩٨٥ |
الأرض تحيا |
طرفُ |
٤٠٨٤ |
فإنَّكَ إنْ أغضبتني |
المُتَغَطْرِفُ |
٩٨٠ |
ألا رُبَّ |
العرف |
٤٤٤٩ |
عنجرد تحلف |
أعرف |
٤٤٩٥ ، ٤٧٩٣ |