مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
وما قام منا |
أعرف |
٦٥٤٠ |
عرفت بأعشاش |
تعرفُ |
٧٠٥٠ |
عزَفتَ بأعشاشٍ |
تعرف |
١٣٦٣ ، ٤٥١٨ |
قُضَاعةُ قومي |
تُعْرفُ |
٢٣٢٥ ، ٥٥٢٩ |
فما ذادَ |
يعرفُ |
٢٣١٤ |
إذا انتهبَ |
مِغْرفُ |
٤٩٢٧ |
من كُلِّ بيضاء |
أَزَفُ |
٢٤٤ |
بَني غُدانَةَ |
الخَزَفُ |
٣٧٢١ |
تنام عن كُبْرِ |
تنعزِف |
٥٧٣٦ |
لنا منكب |
مِعْسَفُ |
٤٥٢٨ |
وشمطاءَ من |
ويعسِف |
٥١٢٠ |
وكنتَ إذا |
تُوسَّفِ |
٧١٦٧ |
إذا كبدَ النجمُ |
خاشفُ |
١٨١٠ |
موانع للأسرار |
المشفشف |
٣٣٥٦ |
خالفْتُ في |
ما تصف |
٥١٠٢ |
على كل مسحاج |
متعصِّف |
٤٥٨٥ |
ونحن حمينا |
تَقَصّفُ |
٥٥٠٨ |
ونحن منعنا |
تقصّفُ |
٥٥٢٥ |
فبينا نسوس |
نتنصَّفُ |
١٣٩٣ ، ٦٦٢٩ |
على كل مسحاحٍ |
متغضِّف |
٤٩٦٦ |
على كل مِسْحاح |
متفضف |
٢٩١١ |
ونحن أبرنا قيس |
تخطّف |
٦٦٦ |
ولو تُرِكَتْ |
المعطّف |
٤٣١٢ |
إذا هنّ ساقطن |
تقطّفُ |
٦٠١ |
ما مَنْ جفانا |
واللطفُ |
١٤٨٩ |
ونحن سلبنا |
تَنْطُفُ |
٥١٥ ، ٣١٧٦ ، ٦٦٤٧ |
إذِ الناسُ |
مساعفُ |
٣٠٩٠ |
ونحن مَنَعْنَا |
تَرْعُفُ |
٣٥٢ ، ٢٢٩٤ |