مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
كتابعة من |
طائل |
٤٢٧٤ |
بميزان قسطٍ |
عائل |
١٢٨٥ |
فتنبت حَوْذاناً |
قائل |
١٦٢٥ |
رقميات عليها |
والأَيل |
٧٣٣٦ |
عُلين بكديون |
الغلائلِ |
٥٧١٢ ، ٥٧٨٢ |
تغذمرها في |
القلائلُ |
٩١٩ |
رميناهمُ حتى |
للحمائلِ |
٢٤٠٠ ، ٦٧٦٦ |
ضربناهم حتى |
للحمائلِ |
٢٥١٣ |
وآبَ مصلُّوْه |
نائل |
١٢١٨ |
وآب مضلُّوه |
ونائلُ |
٣٩٠٤ |
إذا ما شددت |
وائل |
٣٥٧٩ |
طال الثَّوَاءُ |
وَائِلْ |
٧٣٩ |
فدسناهم بالخيل |
وائل |
١٠٤٩ |
وعقَّت أباها |
الأوائل |
٤٢٧٤ |
كنت امرأَ |
الزوائل |
٢٨٧١ |
فما تَمسَّكُ |
الغرابيلُ |
٦٣٠٢ |
ترى اللغام |
الكرابيل |
٥٨٠٨ |
ألا هل إلى |
سبيل |
١٧٨٦ |
نسود أعلاها |
سبيل |
٣٢٧٨ |
نَعُدُّ تَبَابِعاً |
قبيلُ |
٧١٦ ، ٣٥٦٥ |
إلى بطلٍ |
قتيلِ |
٤١٥٦ |
إنك والجور |
القتيل |
٦٣٦٢ |
فأصبح أجلى |
نحيل |
٣٥٦١ |
وإذا قذفت |
الأخيل |
١٩٦٩ ، ٤١٥٨ |
فإياكم وداهيةً |
المُخيلِ |
٦٨١٧ |
جاؤوا بجيش |
الدُّئِلِ |
٢٢٢٠ |
قطعتْ بمصلالِ |
وجديلُ |
٤٠٢٤ |
فعنَّ لنا |
مذيَّل |
٤٣١٠ ، ٦٣٧٢ |