مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
في معشر |
معذور |
٤٤٣٨ |
ولكنها نفسٌ |
قَذورُ |
١٥٠٨ |
فإن نعبر |
نذور |
٤٣٤٣ |
كأن عينيه |
قارور |
١٣٤٩ ، ٥٠٣٠ |
ونسجتْ |
الحرورِ |
٢٣٥٦ |
ثوب على قامة |
مشرور |
٣٣٤٠ |
ومشيُهنَّ بالخَبِيْب |
الزَّورْ |
٢٨٦٨ |
نعم القتيل |
الأزور |
٦٨٠٨ |
ستبدي لك |
تُزَوِّر |
٢٨٧٧ |
وراحلة نحرت |
الجزور |
٣٤١١ ، ٧٣١٩ |
بُغاتُ الطير |
نَزور |
٦٥٥٩ |
بغاث الطَّير أكثرها |
نزور |
٥٨١ |
إنْ تشربي |
السُّورْ |
٢١٠٠ |
هن الحرائر لا |
بالسور |
٦٨٠ |
تركتُ أباكِ |
النسور |
٤١٤٩ |
قياماً تقدع |
النسور |
٥٤٠٥ |
ثم انصرفت |
الأصور |
١٦٤٢ |
على أنني |
أَصْوَرُ |
٣٨٦٢ |
ترى الرجُل |
هَصُور |
٢٧٨٨ ، ٦٩٤١ |
مقفراتٌ دارساتٌ |
السطور |
٢٦٢٣ |
منازل لمريم |
سطور |
٤٦٥٣ |
لبئس ما |
منظور |
٤٣٨٨ |
كلُّ أُنثى وإنْ |
خَيْتعورُ |
١٧١٥ |
تنولُ بمعروفِ |
ذعورُ |
٢٢٦٨ |
تكنَّفني فيها |
بالعوَرْ |
٣٨٨٩ |
وماءٍ كلونِ |
مَعوَّرُ |
٣٠٢٩ |
يريح بعد النَّفس |
النَّفورِ |
٦٦٩٤ |
ويُثيرها المنصورُ |
كالصقورِ |
٦٦١٥ |