مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
يباعده الصديق |
الصغير |
٦٧٧٦ |
فاستلأموا وتلببوا |
للمغير |
٦١٦٧ |
وسقوهم في |
فَئِرْ |
٥٣٠٢ ، ٧٠٩٤ |
وكنَّا له في |
جفيرُ |
١١٢٣ |
لا يجوزنَّ أرضنا |
خفير |
١٨٦٠ |
إذا لقي |
السفيرُ |
٣٦٤٤ |
ذَرُوْا التخاجُؤَ |
وتَذْكِيرِ |
١٧٢٧ ، ٢٩٧٤ |
أكرُّ بباب |
أميرُ |
٥٣٩٩ |
يمشي السِّبْطرى |
الأمير |
٤٤٤ |
ترى لأخلاقها |
اليعامير |
٢٢٣٢ |
وأمر يبهظُ |
والأمير |
٢١٧٤ |
سائل بسلحين |
حمير |
٣١٧٤ |
فمن مثل |
حمير |
٤٣٣٢ ، ٦٩٩٩ |
لقد أَنَى |
حِمْيَرْ |
٣٤١ |
نحن بنو |
حمير |
٥٥٢٩ |
وإني أبو |
حِمْيَرُ |
٥٨٠٠ |
ونحن وهم |
حمير |
٧١٥ ، ٣٠١٠ |
من ولد الرائش |
ما حميرُ |
٢٧٠١ |
نحلُّ بلاداً |
وحميرِ |
٥٢٤٨ |
عظيم القفا |
وخميرُ |
٧٣١٣ |
نُعطى السوية |
الدنانير |
٦٦٨٨ |
حرف الزاي
إلى تميمٍ و |
الجأز |
١٢٤١ |
قد وردَتْ |
بالأعجاز |
٦٨٣٨ |
وإرمٍ أَحْرَسَ |
شأْزٍ |
٢٣١ |
أعطه مصر |
فبزَّ |
٤٣٠٧ |
ومرتبةٍ لا يستقالُ |
حاجزُ |
٢٤٠٣ |