مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
وإذا تباشرك |
وناجز |
٥٨٨٠ |
كم رامنا من |
بالرِّجزِ |
٢٤١٧ |
وقد عارض |
جاحز |
٤٥٠٣ |
أعددت للورد |
خُزَخِز |
١٦٨١ |
ولقد بححت |
مبارز |
٤٠٣ |
قليل التَّلاد |
تارزُ |
٧٤٤ |
يُحَشْرِجها طوراً |
جَارِزُ |
١٠٤٧ ، ٢٥٦٠ |
فأنحى عليها |
مشارِزُ |
٤٩٢٩ |
كأنَّ قتودي |
الغَوَارِزُ |
٩٤٤ ، ١٠٣٠ |
طوت ظمأها |
الأماعز |
٤٢٩٠ |
توجّسن واستيقن |
القوافز |
٥٥٧٧ |
مسببةً قُبَّ |
راكزُ |
٢٩٣٠ |
فلما شراها فاضت |
حامز |
١٥٨٢ |
أقام الثَّقَافُ |
المهامزُ |
٤٠٩٢ |
عفا من آل |
فالعمز |
٦٩٢٧ |
وأرمٌ |
عَنْزِ |
١٧٧٣ |
وكُرَّز يمسي |
الكَنْزِ |
٥٨٠٢ |
يطيع سفيه |
الهزاهز |
٥٠٧٧ |
لا دَرَّ دَرِّي |
مكنوز |
١٣٣٢ ، ٥٤٢٧ |
فأقبلها نِجادَ |
نحائز |
٦٥١٩ |
يا معشراً قد |
جَلْفَزيزُ |
١١٤٢ |
حرف السين
تا لله يبقى |
الآسُ |
٣٧٥ |
تا لله تبقى |
والآسُ |
٥٩٥٧ |
يقول لي الحداد |
باسِ |
١٢٦٢ |
أصبح الملكُ ... |
العباسِ |
١١٨ |
وأَخْلقَ ذا |
الكُباس |
٥٧٤٢ |