مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
وأصغر من قداحِ |
وضَرسِ |
٣٩٥٥ |
وأَصْفَرَ من |
وضِرْسِ |
٥٢٩٦ |
إذا حملت |
الفرس |
٤٤٠٧ |
مطاعين في |
القَرْس |
٥٤١٩ |
وقد تصلَّيت |
قرس |
٥٤٥٨ |
وأمرتَ لي |
النقرسِ |
٦١١٧ ، ٦٧٢٥ |
أنت أبا العباس |
الكِرْسِ |
٥٧٩٨ |
تركْتُ بني |
بِوَرْسِ |
٨٨٨ |
بئس مقامُ |
اقْعَنْسِسْ |
٥٥٦٤ ، ٦٢٧٩ |
إذا طرِفَتْ |
القناعسُ |
٤٠٩٩ |
من مبلغ |
الأنفُسُ |
٦١١٨ |
تجري على كبد |
بالنفسِ |
٥٧٣٨ |
من الأذى |
الوقس |
١٤٦٦ |
وحاضنٍ من |
الوَقْسِ |
٧٢٥٤ |
فيقبلنَ إرباباً |
المجالسُ |
٢٣٦٢ |
قل للفرزدق |
فأجلس |
١١٤٥ ، ٤٨٣٢ |
أعلاقة أم |
المُخْلِس |
٤٧٢٥ ، ٥٠٦٠ |
واستجمعوا |
تَقلسُ |
١٩٩٦ |
خَوَّى على |
مُلْسِ |
٨٥١ |
كركرة |
ملسِ |
١٩٥٧ |
وحاضنٍ |
ملس |
١٤٦٦ |
وكم قطعنا |
مُلسِ |
١٥٨٥ |
اليوم أعلم |
الأَمسِ |
٣١٧ |
نعَار إذا ما |
جامس |
١١٧٠ |
فلو أن أم |
دامسِ |
٢١٥٨ |
نراه إذا دار |
شامس |
٦٦١٩ |
لغالتك إن شاءت |
لامسِ |
٢١٥٨ |
لا تحسبن شَجِّيْ |
الطوامس |
١٩٦١ |