مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
ولكني ضبارمة |
جنوس |
١٧٠١ |
يا ليت شعري |
دخدنوسُ |
٢٠٥٥ |
فثانية وخامسة |
كبائس |
٥٧٤٤ |
وحادية ورابعة |
الكبائس |
٥٧٤٤ |
كذاك ثلاث |
قائس |
٥٧٤٤ |
وما أنا من رَيْبِ |
بيائِسِ |
٩٧٨ |
قد جرَّبتْ |
الضغابيس |
٣٩٧٨ |
فارس الخيل إذا ما |
مبتئس |
٦٩٨ |
بِسُمرٍ كالمعابلِ |
الدخيس |
٢٠٥٢ |
إحدى لياليك |
بالتعريس |
٧٠٢٤ |
وبَلْدَةٍ ليس |
العِيسُ |
٩٠٠ |
وابن اللبون |
القناعيسِ |
٥٤٢٩ ، ٥٥٧٢ ، ٥٩٧١ |
لئن عدلت |
بالكَيْس |
٥٩٤١ |
عُجَيِّزٌ لَطْعاءُ |
إبليس |
٦٠٥٧ |
يا مُنزلَ الرُّحم |
إبْليس |
٢٤٤٤ |
فإياكم وهذا |
مَلِيسُ |
٤٤٥٦ |
أتلطم الخدين |
تميسُ |
٢٠٥٥ |
إحدى بنات |
أنيس |
١٩٤٥ |
حرف الشين
فمالها الليلةَ |
نَجّاش |
٦٥٠٢ |
قد علا الناس |
براش |
٤٨٥ |
رأيت سلامة |
وبَشّ |
٤٠٦ ، ٥٢٩١ |
إذا منحت |
خُشْ |
٩٤٠ |
إنَّ الجِراء |
الهمَّرِشْ |
١٧٧٨ ، ٦٩٨٣ |
إذا ما جرى |
الحافشِ |
١٥١٧ |
قلت لها |
الطفش |
٦٧٦٠ |
يقود بها ديَّانها |
براقش |
٤٩٤ |