مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
إذا ما تذكرين |
للشِّيَاع |
٣٦٠٢ |
لنا القدم |
تابع |
٥٣٩٣ |
إذا قيل |
الأصابع |
٣٣٤٦ |
أليس ورائي |
الأصابعُ |
٧١٣٠ |
إذا ما التقينا |
بالأصابعِ |
٦٨٢٠ |
غنيتُ فلم |
بالأصابع |
١٦٢٧ |
أبلغ نزاراً |
تبعُ |
٣٨٠٤ |
ترد المياه |
التُبَّعُ |
١٤٨٧ |
وعليهما مسرودتان |
تبّعُ |
٣٨٣٢ ، ٥٥٣٢ |
يرد المياه |
التُّبَّعُ |
٧١٥ ، ٣٢١٦ ، ٦٦٩٥ |
الدَّهْرُ لا يبقى |
أَرْبَعُ |
٩٤٥ |
فظلت تكوس |
أربع |
٥٩٢٩ |
يدفع عنها الجوع |
أربع |
٥٢٢ |
زعم الفرزدق |
يا مربَعُ |
٢٣٧٩ |
صخب الشوارب |
مُسْبعُ |
٢٩٥٩ ، ٣٤٢٦ |
أبا خراشة |
الضَّبعُ |
٣٩١١ |
وحمَّلتني ذنب |
راتع |
٤٢٧٧ |
إلى خير دين |
ماتعُ |
٦٢١١ |
أو مثل صرواح |
ذو بتعْ |
٤٢٢ |
لَقِمْنَ على حُولٍ |
ممتع |
١٦١٢ |
تَنَاذَرها الراقُونَ |
تُراجعُ |
٤١٥٠ ، ٦٥٥٢ |
قطعتُ بها |
ساجعِ |
٥٨٦٨ |
ومطلنفئٍ في |
الأشاجع |
٤١٥٢ |
تغنى نُصَيْبٌ |
المضاجع |
٥٦١٨ |
أمِنزلَتي ميٍّ |
رواجعُ |
٦٥٥٧ |
وعيدُ أبي قابوسَ |
فالضواجع |
٣٩٢٢ |
فَبدا لَهُ أقرابُ |
يُرجعُ |
٢٤٣٦ |
وبداله أقراب |
يُرْجع |
٤٨٦٣ |