مطلع البيت |
القافية |
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أتنسى بلائي |
بالأَجْرَعِ |
١٠٤٦ |
رمتْهُ أَنَاةٌ |
سِرَعُ |
٣٣٤ |
فينا أَنَاة |
سِرَعُ |
٣٣٤ ، ٣٠٦٣ |
يا أقرعُ بن |
تصرعُ |
٥٤٥٩ |
سبقوا هَوَيَّ |
مَصْرَع |
٣٧١٥ |
تعدو وغُواةٌ |
ولا ضرعُ |
٣٩٤٦ |
أيقسم نهبي |
الأقرع |
٤٣٢٦ |
حتى كأني |
تقرع |
٥٤٥٦ |
فشرعن في |
الأكرع |
٥٨٠٤ |
جدُّنا قيسٌ .... |
والمكرعُ |
١٠٩ |
أكل الجَميمَ |
الأَمْرُعُ |
٢٨٠١ ، ٣٠٨ ٣٢٠٢ |
قوم إذا |
تمْرَعُ |
٥٥٨٨ |
ردوا الأوارك |
تُهرعُ |
٦٩٢١ |
فبتُّ أنجو بها |
الورعُ |
٦٥٠٣ |
ومنا الذي |
الزعازع |
١٩٧٨ |
أهاجك بالخال |
نازع |
١٩٤٦ |
فإنك إنْ |
النوازعُ |
٧٢٠٢ |
ويراني كالشجا |
ينتزع |
٣٣٨١ |
أَمِنَ المنونِ |
يجزعُ |
٦١٨٩ ، ٧٠٨٥ |
ويعود بالأَرْطَى |
زعْزَعُ |
٢٧٣٦ |
وأنا قُبَيْلٌ |
تزعزعِ |
٢٧٤٦ |
شَعَفُ الكلاب |
يفزع |
٣٧٠٥ |
تعدو به خصوصاً |
تمزعُ |
٢٤٥٦ |
كمهت عيناه |
نَزَعْ |
٥٩٠٠ |
ردوا الأوارك |
تهزع |
١٦١٨ |
فإنك كالليل |
واسع |
٦٨٢٠ |
وهنَّ لدى |
يُكْسَعُ |
٤٧٠٠ |
فيا عجباً |
مجاشعُ |
١٢٧٦ |