مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
وما إن وَجدُ |
تُضيف |
٤٠٣٠ |
لظلّ أراكة |
قطيف |
٥٥٤٩ |
إليك جاوزنا |
الليف |
٦٨٥٢ |
حمدت الله |
الحنيف |
١٥٩٦ |
حريماً يوم |
الكنيفُ |
٥٩٠٩ |
لكنْ غذاها |
والكنيف |
٦٧٢٣ |
مكانها إن |
والكنيفُ |
٥٩٠٩ |
حرف القاف
لكنما عِوَلي |
سَبّاقِ |
٤٨٢٢ |
كأنما حثحثوا |
وطُبّاق |
١٣٠٦ ، ٤٠٥٨ |
هاجت عليَّ |
مشتاقِ |
٣٠٥٢ |
قاتلكُنّ الله |
الوثاق |
٦٨١٣ |
هلا اشتريت |
مخراقْ |
٢٠٧٨ |
يا هيد مالك |
طراق |
٧٠١٢ |
وشفاء مالا |
الفراقِ |
٧٣٩٤ |
وإبسالي بنيَّ |
مراق |
٥٢٨ ، ٥٧٣ |
قد استوى |
مهراق |
٣٢٨٣ |
كأن جيادهُنّ |
الوراقُ |
٤١٨٩ ، ٧١٣٠ |
تبادر العِضَاةَ |
الأوراق |
٥٥٦٣ |
ومشى القوم |
المساقُ |
٢٤٩١ |
ولو أني |
عاقِ |
٤٦٧٠ |
جازعاتٍ بطن |
رفاق |
١٠٨٩ |
وهمُ ما همُ |
الحقاقُ |
١٢٦٩ |
ينزلون العراء |
رقاق |
٤٤٦٩ |
ألا من مبلغ |
الشقاق |
٣٣٥٠ |
فيهم الحِضب |
السَّلَّاق |
٣١٦١ |
وفلاةٍ كأنَّها |
عُلاقُ |
٢٤٢٨ ، ٤٧٢٥ |