مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
وأَشْعَثَ مالَهُ |
زَهُوقِ |
٩٠٦ |
تراها عند |
بَؤُوقُ |
٥٥١٣ |
وقائلةٍ لا |
العلائق |
٤٧٢٩ |
على كل كَهْلٍ |
البنائِقِ |
٢٧٩٢ |
فما ردَّ تزويجٌ |
عتيقُ |
١٢٩١ |
رددْتِ رَجيعَ |
سَحيقُ |
٢٤٢٨ |
يقلّب صعدةً |
محيقُ |
٦٢٣٦ |
أَنَوْراً سَرْعَ |
حذيق |
١٣٧٨ |
كأنَّ هَزِيزَنا |
حَرِيقُ |
٢٦٦ |
ألا يا زيدُ |
الطريق |
٦٥٧٥ |
صدرَ هرش |
طريقُ |
٦٩١٦ |
على فتخاءَ |
طريقِ |
٥٠٩١ |
قليل لحمها |
مَشِيق |
٤٠٤٦ |
فبات له ... |
رقيق |
٥٨٣٠ |
ألا من يرى |
للعقيق |
٤٣٧ |
يمَّمتُهُ الرمح |
الزحاليق |
٧٣٣٦ |
وغمدان الذي |
نيق |
٥٠٠٧ ، ٦٨٠٩ |
يتبعن ورقاء |
الأنيق |
٤٨٠٨ |
حرف الكاف
حتى إذا ماهوت |
بِتَكُ |
٤١٧ |
لئن حللتَ |
فَدَكُ |
٢٢٠٩ |
حتى استغاثت بماء |
البُرَك |
٤٧٥ |
أَصبرُ من ذي |
للمبرك |
٣٩٧٦ ، ٤٤٨٧ |
قَذفوا سيِّدهُم |
المُعتركْ |
٦٣٤٩ |
تغشى الحُداة |
العَرِكُ |
٤٤٦١ |
ما حَكَّ جلدَك |
أمرك |
٤٢٣٥ |
ولستُ إذا |
الزُّكازِكُ |
٢٧٣٧ |