مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
فَأَبَّلَ واسْتَرْخَى ... |
يُؤَبِّلِ |
١٦١ ، ٣٢٧٧ |
سلي تخبري |
مقاتل |
٣٥٣٩ |
ولو أنها عرضت |
متبتل |
٤٢٣ |
ولَوَانَّها عَرَضَتْ |
مُتَبَتِّلِ |
٢٧٢ |
ذلك ما دينك |
المبْتِلِ |
٤١٨ ، ٦٠٢ |
قد قرنوني |
المُبْتَلِّ |
٨٠٢ |
قطعتها بطليح |
فَتَلُ |
٥٠٩٢ |
فظل العذارى |
المفتل |
٢١٦١ ، ٦٨٩٠ |
وما ذرفت |
مقتَّلٍ |
٤٥٤٧ |
ونعرر أناساً |
فَتُقْتَلُ |
٤٣٠٦ |
ألا أبلغا خُلتي |
يقتل |
١٦٦٧ |
نعدو فنترك |
يقتل |
٤٤٦٠ |
رابط الجأش |
مِتَلْ |
٧٠٣ ، ١٢٣٧ ، ٢٣٩١ |
أَرَانِيَ لا آتِيكَ .... |
تَأْثِلُ |
١٦٨ |
وترى الذَّمِيمَ |
الجَثْلِ |
٩٩١ ، ٢٢٣٢ ، ٢٤٩٧ |
يرسلها التغميصُ |
المُحْثِلِ |
٥٠١٢ |
ثم أصدرناهما |
مَثَلْ |
٣٦٩٥ ، ٧١٢٩ |
رابطُ الجأش |
مِثَلْ |
٥١٣٣ |
يلجون بيت |
المثَّلُ |
٧٢٩٠ |
ألا أيها الليل |
بأمثلِ |
١١٥١ |
لها كَتَدٌ |
الممثَّلِ |
٣٧٢١ |
تعلمها في |
حِيْثل |
١٣٣٦ |
غَيْرَ أنْ لا تَكذِبْنها |
الأجَلْ |
١٧٨٩ |
حُبي للُبْنى |
وآجلِ |
٢٤٢١ |
لنا فيلق |
راجل |
٤٤٨٦ |
فمتى أهلك |
بَجَلْ |
٤٣٠ |
إليه موارد |
المبجلُ |
٤٣٤ |
باتوا يُعَشُّون |
ثُجْلِ |
٨٢٠ |