مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
واحتوينا الفرش |
الحَجَلْ |
١٥٧٥ |
لا يَجْبنُون إذا |
الرجَلُ |
١٦٠٤ |
لعمري لقد |
رَجْلِ |
٥١٤٦ |
على الذبل |
مِرْجلِ |
٦٩٣٤ |
على العَقْبِ |
مِرْجلِ |
٢٤٢٣ |
كأن دماءَ |
مُرجَّلِ |
٢٤٣٩ |
يَلمجُ البارِضُ |
ورجلْ |
٢٤٢٠ |
تسمع للحلي |
زَجِلُ |
٧٠٣٦ |
لها حاضرٌ من غيرِ |
زَجْل |
٢٦٧٢ |
فمتى ينقَع |
وزجَلْ |
٦٧٣٠ |
إذا عركت |
عجل |
٤٣٧٩ |
الله أكبر تم |
عجل |
١٩٨٢ |
والساحبات ذيول |
العجل |
٤٣٨٠ |
كأنَّ مشيتها |
ولا عجلُ |
٢٧٠٨ |
أُطْلِقُ يديك |
بالعَجَلْ |
٤١٤٦ |
فظل طهاةُ القومِ |
مُعجَّلِ |
٣٦٣١ ، ٤١٧١ |
وظلَّ طُهاةُ |
معجَّلِ |
٣٥٨١ ، ٥٤٠١ |
إن تقوى ربنا |
وعجلْ |
٦٦٨٩ |
ألا رُبَّ يومٍ |
جُلجلِ |
٢٩٠٦ |
مهفهفة بيضاء |
كالسَّجَنْجَلِ |
٧٣٩ ، ٢٩٧٩ |
فأتتْ به |
الهوجل |
٦٨٧٧ |
فأتت به حُوْس |
الهَوْجلِ |
١٦١١ |
فأتت به حوش |
الهوجل |
٥٥٥ ، ٣٢٤١ |
وبعد إشارتهم |
هَوْجَل |
٦٨٧٧ |
فانتضلنا وابن |
يُجلّ |
١١٥٠ ، ٤٣٥٧ |
وانتضلنا وابن |
يُجلّ |
٦٦٣٩ |
وألفٌ وألفا |
الحلاحلِ |
١٢٨٠ |
إذا ما نعسنا |
الرواحل |
٦٨٤٣ |