مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
لما رأى لُبَدُ |
الأعزل |
٤٦٦١ ، ٥٢٣٣ |
ضليعٍ إذا |
بأعزلِ |
٣٩٨٤ |
ولَسْتُ بجُلْبٍ |
يعْزَلُ |
١١٣١ |
كأنه بالصحصحان |
غُزَّلِ |
٣٠١٨ |
كأنّ ذرا رأسي |
مِغْزلِ |
٤٩٠٨ |
كأنَّ ذرى |
مغزلِ |
١١٦١ |
مستأسدٍ ذُبّانُهُ |
انزل |
٤٥٦٠ |
تقول وقد مال |
فانزل |
٤٦٧٢ ، ٤٩٠٠ |
فأعنُهُم والبشر |
فانزلِ |
٥٣٥ |
لَرَنا بهجتها |
بتنزِّلِ |
٢٧٢ |
كُميتٍ يَزلُّ |
بالمتنزِّل |
٣٧٦٩ |
وأنا ابنُ سوداءِ |
المنزل |
٣٩١٠ |
وقد أقودُ |
المنزل |
٢١٩٠ |
ومرَّ على القنان |
منزلِ |
٦٦٩٧ |
ولما رأونا |
بالهزل |
٢٦٠٦ |
قُولا لِذُودَانَ |
الباسِلِ |
٢٣١٣ |
مَوبرَةَ الأنساء |
المراسل |
٤٦٧١ |
بأشهبَ من |
عاسِلُ |
٢٠١٣ |
تغدو المنايا |
والأسل |
١٩٦٦ |
تربَّعتْ والدهر |
سلاسلُ |
٢٩٢١ |
حقائِبُهُم راح |
سلاسلُ |
٥٠٩٩ |
وقد خيرونا |
السلاسل |
٣٤٤٤ |
فأيَّ بلادٍ لمْ |
بالسلاسلِ |
٢٢٠٢ |
كدَأْبِكَ مِنْ أُمِّ الحويرِثِ |
بمَأْسَلِ |
٢٥٦ |
أرى الناس |
واسلُ |
٧١٥٩ |
إذا لسَعتْهُ |
عواسِلِ |
٢٤٣٣ |
أيثبتُ ما زدتم |
بَسْل |
٥٢١ |
فبات عليه سرْجه |
مرسل |
٦٨٦ |