مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
إذا رَجفتْ فيه |
الحوافلِ |
٢٤٤٢ |
حَصانٌ رزانٌ |
الغَوافِل |
١٤٦٦ ، ٢٤٩١ |
له أيطلا |
تَنْفُلِ |
٢٨١ ، ٧٥٤ ، ٢٤٦١ ، ٧٣٦٣ |
لئن مُنيت |
ننتفل |
٦٧٠٩ |
ومن جوفِ ماءٍ |
يَتْفُلِ |
٧٥٥ |
عليهن يَوْمَ |
حُفَّل |
١٥١٨ |
فَغَرمنا هزَةً |
رِفَل |
٢٣٥٣ |
يا صاحبيّ خوِّصا |
رِفلِّ |
٢٥٧٦ |
كما ذَبَّبَت |
مُرَفَّلِ |
٢٢٣٧ |
فتدليتُ عليه |
الطَّفَلْ |
٤١٢٦ |
وراكضة ما تستجن |
مجعفلِ |
١٢٧٠ |
قال هجِّدنا |
غَفلْ |
٦٨٨٢ |
على فيك |
فاقفِل |
٥٥٩٢ |
وقالوا رَبُوضُ |
مُقفَلُ |
٢٣٨٥ |
يلذن بأعقار |
كُفَّلُ |
٥٨٦٦ |
فجاء بها |
والكِفْلِ |
٥٨٦٠ |
ترى بَعَر |
فلفل |
٣٨٧٦ |
كأن مكاكيَّ |
مُفلفلِ |
٤٥٠ ، ٢٧٠٢ ، ٦٣٥٧ |
ومحتفدِ الوقعِ |
الصاقل |
١٥٢٠ |
إلى مقعدات |
القُلاقل |
٥٥٧٧ |
فسلَّيتُ ما عندي |
وتناقل |
٦٧٣٤ |
ولكنها سوقُ |
الصَّياقِلُ |
١١٨١ |
رأيت ذوي |
البقلِ |
٦٤٧٢ |
قوم إذا نبت |
البقل |
٥٨٩ |
تَمشي من الردةِ |
الأثقلِ |
٢٣٣٩ |
يزل الغلام |
المثقل |
١٦٦٨ |
لو كنت سيفاً |
الصقلُ |
٢٠٦١ |