مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
وأرى أربد |
جَللْ |
٢٤٨٧ |
حملت به |
تِحلَلِ |
٢٨٩٢ |
بأولِ ما هاجَتْ |
مُحلِّلِ |
٢٣٤٢ |
فجمعت بينهمُ |
مُحَلِّل |
٧٠٠٣ |
كبكر المقاناة |
مُحَلَّل |
١٢٩٨ ، ٥٦٥٢ |
حَالَفَ الفَرْقَدَ |
الخُلَلْ |
١٦٦٧ |
لمية موحشاً |
خللُ |
٦٦٧٢ |
ذو مناديح |
ذلل |
٥٩٩٧ |
لعمرك ما شيء |
مُذَلَّلِ |
٢٢٣٨ ، ٢٩٨٥ |
وكشحٍ لطيفٍ |
المذلل |
١٨٢١ ، ٣١٢٣ |
قد يدرك المتأني |
الزَّلل |
٥٦٦ ، ٥٣٠٩ |
عشيَّةَ ولَّيْتُم |
تُسَلَّلِ |
٢٣٢٥ |
فألقيتها بالثني |
فصلل |
٥٦٤٨ |
فألقيتها بالثني |
مضلل |
٥٨٦٢ ، ٦١١٨ |
عافتا الماء |
العلل |
٤٦١١ |
فقلت لها |
المعلّلِ |
٤٣١٥ |
إذا الأمعزُ |
ومُغَلّل |
٦٣٣٥ |
وإذا نظرت |
المتهلل |
٢٩١٥ ، ٦٨٤٧ |
قعدت وأصحابي |
متأمل |
٤٤٢٧ |
عفا بعد عهد |
جامل |
١١٦٤ |
تقلدت إبريقاً |
حاملِ |
٢٨٥٩ |
وأبيض يستسقى |
للأرامل |
٨٨٤ |
دعاك الهوى |
شامل |
٣٢٢٥ ، ٧١٨٨ |
رَعَى خَرَزاتِ |
شاملُ |
١٧٥٤ |
إذا المرء أسرى |
عامل |
٣٠٦٤ |
يجاوبن بُحّاً |
الأنامل |
٣٤١٥ |
مَثَابٌ لأَفْنَاءِ |
الذَّوَامِلُ |
٩٠٨ |
بين طريقِ |
المَوامِل |
٣٨٥٤ |