مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
أو نهته فأتاه |
اجتمل |
٣٥٨٩ |
أقول للشَّرْبِ |
الثَّمِلُ |
٨٨٩ |
كأن راكبها |
ثملُ |
٢٦٧٤ |
من الأسود |
المُثَمَّل |
٨٨٢ |
فما هجرتك |
ولا جمل |
٥٩٥٦ |
استغن ما أغناك |
فتجمَّل |
٢١٨ ، ١١٧٧ |
واستغن ما أغناك |
فَتَجمَّل |
١٦٧٣ |
ألا لا أرى |
حمل |
٧١٨٧ |
صلى عليه إله |
الحمل |
١٩٨٢ |
ويوم عقرت للعذارى |
المُتَحَمَّل |
٦٣٦ ، ٤٦٧٢ |
توخّاه بالأظلاف |
محمل |
٥٧١٧ |
فألقى بصحراء |
المحمل |
٣٩٤ |
وألقى بصحراء |
المحمّل |
٤٨٥٥ |
وأَجْسَمُ من عادٍ |
الرمل |
١٠٩٤ |
إذْ لا تزال |
مُرْمَلُ |
٢٦٣٦ |
وإذا يهبُّ |
بزمَّلِ |
٢٨٣٦ |
ويهدي ضلالَ |
بزمل |
٣٠٥٥ |
كأنَّ بثيراً |
مُزَمَّلِ |
٢٨٤٤ |
حتى رأيتهم |
يشمل |
٣٥٤٤ |
وقَيِّمٍ أمدرِ |
العمل |
٦٢٥٢ |
عود على |
بالعمل |
٤٨١٥ |
أستغفر الله |
والعمل |
٧٠٤٣ ، ٧٠٧٠ |
إذا ليلة |
أتململ |
١٥١٧ |
عِلم |
النملِ |
١٥٣٣ |
وترى الذّنينَ |
النمل |
٦٢٨٦ |
ولا عيب فينا |
النَّمل |
٦٧٥٥ |
ولا أزعج الكلمِ |
ولا أنمل |
٦٧٦١ |
الحمد لله |
فَحَومَلِ |
٧٢٥٦ |