مطلع البيت |
القافية |
الصفحة |
قفا نبكِ |
فحوملِ |
١١٧ ، ٣٧٣٢ ، ٦٠٩٧ ، ٧٠٨٤ |
يتمارى في |
هلْ |
٦٨٢٧ |
صُراح دعتها |
جاهل |
٤٢٧٤ |
لتستيقني أَنَّا |
كجاهلِ |
٢٣٣ |
الطاعن الطعنة |
الناهل |
٦٧٧٠ |
وأعجبني مشي |
مناهل |
١٤٢٧ |
يُطرّحنَ بالأولاد |
والمناهلِ |
٥٣٨٢ |
متى تبغني ما دمْتُ |
المتعبهلِ |
٢٥٥٢ |
في كهول سادة |
فابتهل |
٦٥٤ |
غدت من |
مجهل |
٤٧١٣ |
بأَجَشِّ الصَّوْتِ |
صَهَلْ |
٩٦١ ، ٤٠٩٧ ، ٤٣٠٤ |
يضاحك الشمس |
مكهَل |
٤٢٩٨ |
ليبكِ أبا |
عيهل |
٤٨٠٨ |
أزهير هل |
الأول |
٦٩٧٣ |
بيض الوجوه |
الأولِ |
٤٠٩٠ |
لعمرك ما أدري |
أَوَّلُ |
٧٠٨٠ |
وطفنا بلاد |
المقاول |
٥٦٧٠ |
فهيهات قومي |
المتناول |
٦٨٠٨ ، ٧٠١٣ |
فلا تعجلي |
أم بحبول |
١٣١٢ |
بَانَتْ سُعَادُ .... |
مخبولٌ |
١٧٤ |
إن من أعجب |
عطبول |
٤٦٠٧ |
ولايةُ سلفدِّ |
أثولُ |
٣١٧٥ |
وكائن ترى |
جُوْلُ |
١٤٩٧ |
إلى مثلها يَرْنو |
ومجْوَل |
١٢١٤ ، ٢٦٤٥ |
واتركْ محلَّ |
فتحوِّل |
٦٤٦٩ |
يقولُ اتَّئدْ |
دحولِ |
٢٠٤٣ |
فمثلك حبلى |
مُحْوِل |
٥٢٨٩ |