شاها اگر بعرش رسانم سرير فضل |
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مملوک اين چنانم ومشتاق اين درم |
گر برکنم دل از تو بردارم از تو مهر |
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اين مهر بر کى افکنم اين دل کجا برم |
مولاي لو أوصلتني للسُّهى |
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فلست إلّا العبد مملوكا |
مثوى فؤادي بابك المرتجى |
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وكلّ شوقي أن أُلاقيكا |
لو أنّ قلبي حال عن حبّكم |
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ولم يجد مأويً بناديكا |
قل لي فمن يهواه من بعدكم |
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وأين يهفو إذ يخلّيكا |
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گشت از لشکر چه قدرى راه دور |
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شد چو موسد جانب خرگاه طور |
ليک بودش پاى در رفتن بکل |
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سخت بود از روى شاه دين خجل |
در تفکر آنکه چون عذر آورد |
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با کدامين ديده شه را بنگرد |
باز کرد از شرم دستار سرش |
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هم بدان پوشيده چهر انورش |
با چنين هيئت سر آزادگان |
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بوسه زد بر پاى شاه انس وجان |
گوهر از مژگان به خاک پاى شاه |
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ريخت واينسان کشد از وى عذر خواه |
گفت من حرّم که ره بربستهام |
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بر تو قلب نازکت بشکستهام |
رنجه کردم حال اطفال تو را |
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اوّل آشفتم ز کين قلب تو را |
زينت زار تو را ترساندهام |
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کودکانت را بدن لرزاندهام |
حال از کرده پشيمان گشتهام |
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تخم امّيدى بخاطر گشتهام |
کن شفاعت از من اى سبط رسول |
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توبهام را تا که حق سازد قبول |
مباراة القصيدة بالعربيّة :
وخلّف جيش الكفر حرّ ورائه |
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وجاء كموسى إذ أتى جانب الطور |
وأوقف بين الفيلقين جواده |
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وما كان أن يدنو إليهم بمقدور |