وقال الشيخ عليّ بن شيخ العراقين في هذا المعنى
چه بگذشتند شيران حجازى |
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على را شد هواى تيغ بازى |
ز صف آمد برون آن شاه صفدر |
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ستاده در بر سالار محشر |
ستاره ريخت از نرگس به خورشيد |
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هلال آسا رکاب شاه بوسيد |
نواى فرقت آن شاه منصور |
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حجازى بانوان را کرد پرشور |
به معراج شهادت شد شتابان |
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براقش شد عقاب کوهکوهان |
شه عشّاق خلّاق محاسن |
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بکف بگرفت آن نيكو محاسن |
به آه و ناله گفت اى داور من |
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سوى ميدانِ کين شد اکبر من |
به خلق و خُلق از رفتار و کردار |
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بدين نو رسته همچون شاه مختار |
مباراة الشعر بالعربيّة أو تقريب المعنى :
ولمّا تناهي أُسود الحجاز |
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لأرض تضمّ السيوف الحدادا |
تجلّى كملك على جنده |
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أمام أبيه يريد الجلادا |
وأجرى الكواكب من نرجس |
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على الشمس تشبه صوباً عهادا |
وضجّت عليه بنات النبي |
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بصوت يزلزل سبعاً شدادا |
وجاء ليعرج نحو الجهاد |
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لنيل الشهادة يبغي الجهادا |
وقابله الجبل المشمخرّ |
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أبوه فما نال منه المرادا |
وناجى الإله وفي قلبه |
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جراح من الهمّ تأبى الضمادا |
إلى الحرب متّجه أكبري |
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أعنه فكم قد أعنت العبادا |
ولم يستقلّ على سابح |
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ولكن إليها استقلّ الفؤادا |
شبيه النبيّ بأوصافه |
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وأخلاقه شرفاً مستجادا |
ميرزا محمّد تقي
قال في « آتشكده » هذا المعنى :