في بينه
فقال : يا ساهي |
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عاينت قطّ عين |
بعينه |
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أما ترى غيلان (١) |
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وقيس أو من كان |
في الغابرين |
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قالوا الهوى سلطان |
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إن حلّ بالإنسان |
أفناه دين |
دور
كم مرّة قالا |
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أنا الّذي أهوى |
من هو أنا |
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فلا أرى حالا |
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ولا أرى شكوى |
إلّا الفنا |
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لست كمن مالا |
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عن الّذي يهوى |
بعد الجنا |
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ودان بالسّلوان |
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هذا هو البهتان |
للعارفين |
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سلوهم ما كان |
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عن حضرة الرّحمن |
والآفكين |
دور
دخلت في بستان |
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الأنس والقرب |
كمكنسه |
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فقام لي الرّيحان |
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يختال بالعجب (٢) |
في سندسه
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(١) غيلان : هو الشاعر ذو الرمة.
(٢) في ه : يختال من عجب.