لما كنت محتاجا لقولي آنفا |
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تخليت من ذنب وجئت أتوب |
إذا كنت ذا طوع وشكر وغبطة |
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فمن أين لي يا ابن الكرام ذنوب |
لقد كنت معتادا ببشر فما الذي |
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تقلدته حتى يزال قطوب |
أإن رفع السلطان سعيي بقربكم |
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أحلأ عن ورد لكم وأخيب(١) |
فأحسب ذنبي ذنب صحر بدارها |
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ألي البرّ عند الخابرين معيب(٢) |
وحاشاك من جور علي ، وإنما |
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أخاطب من أصفو (٣) له فيشوب |
صحاب هم الداء الدفين فليتني |
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ولم أدن منهم ، للذئاب صحوب(٤) |
كلامهم شهد ولكن فعلهم |
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كسمّ له بين الضلوع دبيب |
سأرحل عنهم والتجارب لم تدع |
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بقلبي لهم شيئا عليه أثيب(٥) |
إذا اغترب الإنسان عمن يسوءه |
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فما هو في الإبعاد عنه غريب |
فدارك برأب منك ما قد خرقته |
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ليحسن مني مشهد ومغيب(٦) |
ولا تستمع قول الوشاة فإنما |
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عدوهم بين الأنام نجيب |
فياليت أني لم أكن متأدبا |
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ولم يك لي أصل هناك رسوب |
وكنت كبعض الجاهلين محببا |
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فما أنا للهم الملمّ حبيب |
وما إن ضربت الدهر زيدا بعمره |
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ولم يك لي بين الكرام ضريب(٧) |
أأشكوك أم أشكو إليك فما عدت |
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عداتي حتى حان منك وثوب |
سأشكر ما أولى وأصبر للذي |
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توالى ، على أن العزاء سليب |
فدم في سرور ما بقيت فإنني |
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وحقك مذ دب الوشاة كئيب |
قال : وكان سبب التغير بيني وبين ابن عمي الرئيس المذكور أن ملك إفريقية استوزر
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(١) حلّأه عن الماء وغيره : تحليئا وتحلئه : حبسه عنه ومنعه.
(٢) صحر : هي ابنة لقمان. قيل إنه لما قتل زوجته لقيته ابنته صحر فقتلها دون ذنب وقال : وهل أنت إلا امرأة؟.
(٣) في ب : «أصفي».
(٤) صحوب : صيغة مبالغة لاسم الفاعل صاحب على وزن فعول.
(٥) أراد بأثيب : أجازي وأكافىء.
(٦) رأب الصدع : إصلاحه.
(٧) الضريب : المثل.